विनिर्माण कार्यक्रमों को अभिकल्प सहयोग प्रदान करने के लिए 1964 में अभिकल्प विभाग के रूप में स्थापित यह केंद्र आज पूर्ण रूप से विमान उन्नयन अनुसंधान व विकास केंद्र (एयूआरडीसी) के रूप में कार्य कर रहा है। सुखोई-30 एमकेआई, मिग श्रृखंला विमानों के क्षेत्र में व्यापक अनुभव, उत्पाद सुधार के लिए अभिकल्प व विकास, कार्य सक्षमता अभिवृद्धि, स्वदेशीकरण, प्रौद्योगिकी उन्नयन, जीवन वृद्धि के लिए संरचना एकीकरण अध्ययन, उड़ान परीक्षण विश्लेषण एवं मध्य आयु उन्नयन इसकी शक्तियाँ हैं।
इसे सेमिलाक तथा विज्ञान व प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार द्वारा अभिकल्प केंद्र के रूप में मान्यता प्राप्त है। एयूआरडीसी एएस 9100सी एवं आईएसओ9001:2008 प्रमाणन प्राप्त संगठन है। इसकी केंद्रीय प्रयोगशाला को एनएबीएल से प्रत्यायन प्राप्त है।